बेपरवाह जीवनशैली से 70% डायबिटीज मरीज को पड़ती है इंसुलिन की जरूरत । अभी भी वक्त है आप अगर डायबिटीज है तो संभल जाऐ अपने जीवन शैली में सुधार कर डायबिटीज को नियंत्रित रखें । क्यों और कैसे आईये आपको पुरी जानकारी देते है।

आधुनिक जीवनशैली और तनाव के कारण मधुमेह यानी डायबिटीज सभी उम्र के लोगों को निशाना बना रही है. शूगर की बढ़ती बीमारी पर रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ इन इंडिया (आरएसएसबीआइ) के तहत बिहार चैप्टर से जुड़े डॉक्टरों ने रिसर्च किया है. रिसर्च से पता चला है कि टाइप-2 डायबिटीज के 70% मरीज बेतरतीब और असंयमित जिंदगी जी रहे हैं. ऐसे डायबिटीज रोगियों में असामान्य लिपिड प्रोफाइल मिल रहा है, जिसके कारण संयमित ऐसे मरीजों को इंसुलिन पर भी शिफ्ट होना पड़ रहा है, जबकि रिसर्च के अनुसार मात्र 30% मरीज ही शूगर होने के बाद नियमित एक्सरसाइज व शुद्ध खान-पान के साथ जीवन शैली अपना रिसर्च में रहे हैं. मालूम हो कि हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. महिलाओं में भी टाइप 2 डायबिटीज के है. 70 प्र बढ़े केस: रिसर्च सोसाइटी बिहार चैप्टर के सचिव व शूगर रोग विशेषज्ञ डॉ में वैसे म सुभाष कुमार की देखरेख में शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच सहित साथ करीब कई डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टरों को को भी हिस भी शामिल किया गया. रिसर्च में 35 से मरीजों की 70 साल तक के डायबिटीज मरीजों पर फास्टिंग, प रिसर्च किया गया. इसमें पुरुषों के साथ-साथ करीब 70 से अधिक महिलाओं को को भी हिस्सा बनाया गया. इन सभी से मरीजों की रूटिन जांच के साथ ही पर फास्टिंग, पीपी, एचबीएवनसी, लिपिड - प्रोफाइल में सीरम, टोटल कोलेस्ट्रॉल,
सीरम एलडीएल, सीरम ग्लाइसीराइड और एचडीएल आदि जांच करायी गयी. इसमें पता चला कि करीब 70% मरीजों में एचबीएवनसी 7.91% रहा, जबकि मानक 6-6.5 प्रतिशत ही है.।मरीज अपने स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट थे. वैसे 30% मरीज पूरी तरह से ठीक पाये गये. वहीं कुछ मरीजों में लिपिड प्रोफाइल में सीरम रि टोटल कोलेस्ट्रॉल, सीरम एलडीएल हाइ पाया गया. वहीं डॉक्टरों ने बताया कि टाइप 2 होने के बाद भी जो मरीज अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान नहीं है, उनको बाद में इंसुलिन की जरूरत पड़ सकती है. शूगर कंट्रोल नहीं किया, तो बाद में हृदय सहित अन्य रोग होने का खतरा बढ़ सकता है.

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