डाइबिटीज से पीड़ित लोगों को सबसे पहले आंख खराब होने का डर रहता है । आंखों में सबसे महत्वपूर्ण है रेटिना । आखिर ये रेटिना क्या है और कैसे इसे ठीक रखें आईये जानते हैं ।

मानव के शरीर के सबसे एहम हिस्सा आँख होती है, जिसमें सबसे नाज़ुक रेटिना होता है। रेटिना की मदद से हम लोग सामने होने वाली हलचल को देख और समझ पते हैं। बदलते लाइफस्टाइल और हमारी नज़रान्दाज़ करने की आदत के कारण हमारी आँखों में होने वाली समस्या बढ़ती नज़र आ रही है। उन्ही समस्याओं में से एक है रेटिना से जुड़ी समस्या है।

😊रेटिना क्या है? 
आँख के पिछले पर्दे को रेटिना कहा जाता है। इसमें कुछ कोशिकाएं मौजूद होती हैं,  जिनकी मदद से प्रकाश पहुंचता है और उसी प्रकाश के कारण हम देखने में सक्षम होते हैं। आँख की ज्यादातर बीमारी रेटिना में किसी भी तरह की खराबी की वजह से होती हैं। रेटिना में किसी भी तरह की समस्या होने से प्रकाश की क्षमता कम हो जाती है। रेटिना आँख का सबसे नाज़ुक हिस्सा होता है और इसमें ज्यादातर सूजन की शिकायत हो सकती है, जिसे मेडिकल भाषा में मैक्युलर कहते हैं।

👉मैक्युलर क्या है? 
मैक्युला रेटिना का वह हिस्सा होता है जो हमें दूर देखने में मदद करता है। यदि किसी कारण इस हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाए या सूजन आ जाए तो दृष्टि को हानि पहुँचती है। किसी भी प्रकार के आँखों की समस्या के साथ-साथ आँखों की रोशनी जाने का ख़तरा हो सकता है।

🤔मैक्युलर के लक्षण 
मैक्युलर के लक्षण आम रूप से दिखाई नहीं देता हैं लेकिन आंखों में दर्द होता है। जब सूजन बढ़ने लगती है और रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज आने लगती है, तब देखने में दिक्कत आती है और चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। इन सबके के सिवा अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-

आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।
चीजें हिलती हुई दिखना।
पढ़ने में मुश्किल होना।
रंगों को पहचने में दिक्कत या रंग न दिखाई देना।
रेखाएं टेढ़ी दिखाई देना।
तेज रोशनी से संवेदनशील हो जाना।
यह समस्या एक आंख में होती है और इसका पता गंभीर होने पर ही पता लग पाता है। वैसे यदि किसी को यह समस्या होती है, तो दूसरी आँख में होने की आशंका 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
👉मैक्युलर के कारण 
मैक्युलर की समस्या होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगियों और बढ़ती उम्र के लोगों को इसका शिकार होना पड़ता है। इस समस्या से कई बार उन लोगों को भी खतरा हो सकता है, जिनके परिवार में किसी को आंखों के रोगों की समस्या रही हो। इसके सिवा कुछ अन्य कारण यह हो सकते हैं-

रक्त वाहिनियों से जुड़ी समस्या
किसी दवाई का साइड इफेक्ट
जेनेटिक
आंख में ट्यूमर होना
मैक्युला में छेद होना
रेडिएशन के कारण
आंख में चोट लग जाना
मोतियाबिंद, ग्लुकोमा या रेटिना संबंधी मामलों में हुई किसी भी तरह की सर्जरी के कारण इस समस्या का होना, आदि।
👉रेटिना ट्रीटमेंट 
यदि किसी को यह समस्या हो जाए तो सही समय पर उपचार करवाया जा सकता है, जिससे भविष्य में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। इसमें मैक्युला और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं को ठीक किया जाता है। मैक्युलर के उपचार में दवाएं, लेजर और सर्जरी की जाती है।

इस समस्या के उपचार के लिए सबसे प्रचलित इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (आईवीआई) है। यदि मैक्युलर एक ही जगह हो तो फोकल लेजर किया जाता है।

👉फोकल लेजर ट्रीटमेंट-
इस प्रक्रिया में मैक्युला की सूजन कम करने का प्रयास किया जाता है। लेजर सर्जरी में रक्त नलिकाओं को सील करने का प्रयास किया जाता है। अधिकतर मामलों में फोकल लेजर ट्रीटमेंट से आँखों की रोशनी में सुधार आ जाता है।

👉सर्जरी-
मैक्युलर के लिए की जाने वाली सर्जरी को विटरेक्टोमी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में मैक्युला पर जमे हुए फ्लूइड को निकाल लिया जाता है।

👉आईवीआई-
आईवीआई प्रक्रिया टॉपिकल एनेस्थीसिया की मदद से किया जाता है। आईवीआई को प्रशिक्षित रेटिना विशेषज्ञ द्वारा ही कराना चाहिए, जो उपचार को प्रभावी तरीके से कर सके और किसी भी तरह की संभावित जटिलताओं को समझ उपचार कर सकें। अगर मैक्युलर का कारण ग्लुकोमा या मोतियाबिंद है तो इनका उपचार कराना जरूरी हो जाता है।
🙏 अपनी आँखों को  नेत्र रोग विशेषज्ञ से साल में जांच कराते रहना चाहिए। कुछ नहीं है तो भी जांच करावें।

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