अगर आप डाइबिटीज है तो सावधान रहें आंख की समस्या हमेशा आपको परेशान करती रहेगी । आंख आना एक बहुत बड़ी समस्या होती है आईये जानते हैं कि क्या कारण है आंख आना और क्या है इसके लक्षण और उपचार।

आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस, पिंक आई, नेत्र शोथ, नेत्रश्लेष्मलाशोथ) आँख के सफेद भाग की बाहरी सतह और पलक की आंतरिक सतह की सूजन होती है। इसमें आँख गुलाबी या लाल दिखाई देती है और आँख में दर्द, जलन, खुरदरापन या खुजली भी हो सकती है। प्रभावित आँख में ज़्यादा आंसू आना या सुबह के समय आँख को खोलने में परेशानी भी हो सकती है।

एलर्जी के कारण हुए कंजंक्टिवाइटिस में आमतौर पर खुजली होती है। यह एक या दोनों आँखों को प्रभावित कर सकता है।
कंजंक्टिवाइटिस से बचने के लिए - 

1.अपने तौलिए या टिशूज़ को किसी को उपयोग न करने दें।
2.खांसने या छींकने पर अपने नाक और मुंह को कवर करें और अपनी आँखों को छुएं या रगड़े नहीं।
3.कभी भी अपने कॉन्टैक्ट लेंस किसी को इस्तेमाल न करने दें।
अपने हाथों को बार-बार धोएं (खासकर जब आप स्कूल या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हों)।
4.नल के हैंडल अन्य छूने की वस्तुओं को एक एंटीसेप्टिक क्लीनर से साफ़ करें।
5.यदि आपको पता है कि आपको मौसमी एलर्जी होती है तो अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लक्षणों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है।
6.यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करते हैं तो लेंस की देखभाल के लिए आपने आँखों के चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें।
7.तैराकी करते समय पानी में बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों (जिनसे कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है) से स्वयं को बचाने के लिए तैराकी करने वाले चश्मे पहनें।
8.नहाने से पहले या किसी भी तरह से पानी के संपर्क में आने से पहले अपने कॉन्टैक्ट लेंसों को उतर लें ताकि कोई भी बैक्टीरिया आपकी आँख और लेंस के बीच फंस न सके। 
आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) का परीक्षण - Diagnosis of Conjunctivitis
अक्सर डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर और आपकी आँख की जाँच करके कंजंक्टिवाइटिस का निदान कर लेते हैं। हालांकि, कभी-कभी संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस और अन्य प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के निदान में भ्रम हो सकता है।
संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस में डॉक्टर इसके लक्षणों और उपस्थिति से इसका निदान करते हैं। इसमें आंख को आमतौर पर एक स्लिट लैंप (एक उपकरण जिससे चिकित्सक आंखों की जांच कर करते हैं) से देखा जाता है। संक्रमित रिसाव के नमूने को एकत्रित करके जाँच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है ताकि संक्रमण करने वाले जीव का पता लगाया जा सके।
हालांकि, आमतौर पर डॉक्टर कुछ ही स्थितियों में प्रयोगशाला में नमूने भेजते हैं -
जब लक्षण गंभीर या बारम्बार होते हैं।
जब संक्रमण की वजह क्लैमाइडिया ट्रैस्कोमैटिस (Chlamydia Trachomatis) या नेइसेरिया गानोरिआ (Neisseria Gonorrhea) को माना जाता है।
जब व्यक्ति को प्रतिरक्षा प्रणाली का एक नुक्स होता है (जैसे कि एचआईवी/एड्स)।
जब व्यक्ति को कोई आंख की समस्या होती है जैसे कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांट या ग्रेव्स रोग के कारण आंख में फुलाव।
स्वैब टेस्ट
इस टेस्ट में स्वैब (रुई के फोहे जैसा दिखने वाला पदार्थ) के द्वारा आपकी संक्रमित आँख से चिपचिपे पदार्थ (म्यूकस) के एक छोटे से नमूने को इकट्ठा करके परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है ताकि कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार की पुष्टि हो सके।
आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) का इलाज - Conjunctivitis Treatment
कंजंक्टिवाइटिस का उपचार उसकी होने की वजह पर निर्भर करता है। यदि आपको यह एक रासायनिक पदार्थ की वजह से हुआ है तो शायद कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाएं लेकिन यदि यह एक जीवाणु, वायरस, या एलर्जी से हुआ है, तो कुछ उपचार विकल्प हैं -
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
बैक्टीरियल संक्रमण के लिए, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। एंटीबायोटिक दवा से लक्षण कुछ ही दिनों में चले जाते हैं।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस
वायरल संक्रमण के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। यह संक्रमण सात से दस दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। तब तक, सिकाई करने से आपके लक्षणों में सुधर आ सकता है।
आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) के जोखिम और जटिलताएं - Conjunctivitis Risks & Complications 
कंजंक्टिवाइटिस के जोखिम हैं -
कोई ऐसे पदार्थ के संपर्क में आना जिससे आपको एलर्जी है (एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस)।
वायरल या बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में आना।
ज़्यदा समय तक कॉन्टैक्ट लेन्स का उपयोग करना।
कंजंक्टिवाइटिस की जटिलताएं कम होती हैं लेकिन जब होती हैं तो गंभीर हो सकती हैं जैसे -
गंभीर कंजंक्टिवाइटिस से आँखों में धब्बा पड़ सकता है।
संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में, संक्रमण शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है जिससे अधिक गंभीर और कई संक्रमण हो सकते हैं, जैसे मैनिन्जाइटिस। 
आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) में परहेज़ - What to avoid during Conjunctivitis ?
कंजंक्टिवाइटिस होने के बाद जब तक आपकी आंखें बेहतर नहीं हों तब तक कॉन्टैक्ट लेंस न पहनें।
अपने तौलिए और तकिए किसी को उपयोग के लिए न दें।
अपनी आँखें न रगड़ें।
स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड और जंक फूड, मसालों और चीनी से उन्नत खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें।
आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस) में क्या खाना चाहिए?
प्रतिरक्षा को बढ़ाने और संक्रमण को रोकने वाले आहार लेने चाहिए जैसे पालक; नारंगी रंग के फल या सब्ज़ियां जैसे कद्दू, स्क्वैश, संतरे, गाजर, पपीता और आम। इन फलों और सब्जियों में बीटा कैरोटीन होता है जो प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करता है और आपको संक्रमित होने से रोकता है।
गाजर और पालक के रस कंजंक्टिवाइटिस के उपचार के लिए बहुत लाभकारी हैं। विटामिन ए और विटामिन बी2 में बढ़ोतरी भी बहुत अधिक लाभकारी होती है। विटामिन ए के स्रोत हैं डेयरी उत्पाद, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, आम और पपीता। आप दूध, खट्टे फल, बादाम और केले से विटामिन बी2 प्राप्त कर सकते हैं। आप शहद के साथ आमले के रस को भी ले सकते हैं जो कि विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें बैक्टीरिया को मरने की क्षमता होती है

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