अगर आप डायबिटीज है तो इस पौधें के पत्ते का सेवन कर आप सुगर नियंत्रण रख सकते हैं है

दुनिया

में सबसे ज्यादा मधुमेह पीड़ित लोग किस देश में हैं?चीन 11 करोड़ डायबीटिक पेशेंट्स के साथ पहले नंबर पर है जबकि दूसरे नंबर पर भारत है 7 करोड़ के साथ,ये संख्या बहुत तेजी से हर रोज बढ़ रही है,भले ही ये कोई अच्छी खबर न हो मगर किसानों के लिए निश्चित ही अच्छी खबर है क्योंकि वे शुगर के बदले में इस्तेमाल होने वाली तथा इस रोग में कारगर मीठी तुलसी,जिसको स्टीविया कहते हैं, की खेती कर जहां इस रोग की रोकथाम में सहायक हो सकते हैं वहीं भारी मुनाफा भी कमा सकते हैं। तमाम प्रोडक्ट जो कि शुगर फ्री कहकर बेंचें जा रहे हैं उनमें स्टीविया की सूखी पत्तियों का प्रयोग ही हो रहा है ऐसे प्रोडक्ट की संख्या लगभग 100 है जिनमें,सॉफ्ट ड्रिंक,मिठाईयां आदि शामिल हैं,अमूल,मदर डेयरी,पेप्सिको,कोकाकोला आदि भारी मात्रा में स्टीविया की खरीद कर रही हैं।इसकी खेती जापान,कोरिया,ताइवान और अमेरिका आदि में काफी समय से होती आ रही है अब भारत मे भी इसने जोर पकड़ लिया है,इसकी पत्तियां अंतराष्ट्रीय बाजार में छह से साढ़े छह लाख रुपये कुंतल तक बिक रही हैं,भारत मे पुणे,रायपुर,इंदौर,बंगलौर और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खेती हो रही है,भारत मे अभी ये काफी सस्ती है। इलाहाबाद के युवा किसान हिमांशु शुक्ला को ये रास आ रही है उनके अनुसार सिर्फ जून दिसंबर को छोड़कर इसको बाकी दस महीने लगाया जा सकता है और साल में 4 बार पत्तियां तोड़ी जा सकती हैं इसमें कोई रोग भी नहीं लगता,न कोई कीटनाशक लगता है और गोबर की खाद से भी फसल हो जाती है। इसका रोपण पौध के रूप में किया जाता है जिसको पॉलीथिन या टिश्यू कल्चर के जरिये 15 सेंटीमीटर का कर लेते हैं फिर 9 इंच ऊंची मेड बनाकर मेड से मेड की दूरी 40 cm तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर रखी जाती है।एक पौधा 5 से 6 रुपये में खरीदा भी जा सकता है।ये चीनी से 300 गुनी मीठी मानी जाती है तथा रोग को जरा भी नहीं बढ़ाती है।एक तुड़ाई में प्रति एकड़ 2500 से 2700 किलो सुखी पत्तियां मिल जाती हैं।नेशनल मेडिसनल प्लांट्स बोर्ड 20 प्रतिशत सब्सिडी भी दे रहा है।इन पत्तियों में प्रोटीन फाइबर्स,कैल्शियम तथा फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है अतः कॉस्मेटिक्स और दवा की कंपनीज में भी भारी मांग है,स्टीविया असोसिएशन के MD सौरभ अग्रवाल के मुताबिक इसकी खेती में नुकसान की कोई गुंजाइश बहुत ही कम है।पिछले कुछ सालों में अनेक गरीब किसानों ने इससे अपना भाग्य बदला है अगर प्रचार कर लोगों को बताया जाए तो रोग से लड़ने तथा किसानों की आय बढ़ाने में स्टीविया जिसको आमतौर पर मीठी तुलसी,या मधुपत्र कहते हैं,बहुत ही सक्षम है।

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